Add To collaction

जो भी कूदा......

गीत(16/14)
जो भी कूदा......
जो भी कूदा सिंधु-उर्मि में,
मोती उसने पाया है।
जो था खड़ा किनारे केवल,
धोखा उसने खाया है।।

पंख संग उत्साह समेटे,
उड़ता खग नभ कोने तक।
पथिक आस ले उर में अपने,
चलता रहता सोने तक।
पुनि चल निज गंतव्य प्राप्त कर,
उसने नाम कमाया है।।
      मोती उसने पाया है।।

विजय वरण करती है उसका,
लड़े समर जो तन-मन से।
उसको वर-माला पहनाए,
करे तिलक शुचि चंदन से।
युद्ध-भूमि जो तज कर भागा,
वह कायर कहलाया है।।
     मोती उसने पाया है।।

मातृ-भूमि रक्षार्थ वीर सुत,
प्राणों का बलिदान करें।
अरि का मस्तक रौंद-रौंद कर,
कर्म पुनीत-महान करें।
होता वही सपूत जगत जो,
माँ का कर्ज़ चुकाया है।।
     मोती उसने पाया है।।

आस और विश्वास हृदय रख,
जो भी कर्म किया जाता।
निश्चित मिले सफलता उसमें,
कर्म वही जग को भाता।
पूजनीय वह होता सबका,
जिसने फ़र्ज़ निभाया है।।
   जो भी कूदा सिंधु-उर्मि में,
   मोती उसने पाया है।।
          ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
               9919446372

   13
7 Comments

Gunjan Kamal

02-Feb-2023 11:23 AM

बहुत खूब

Reply

Rajeev kumar jha

01-Feb-2023 03:37 PM

👌👏

Reply